है धर्म नहीं अब जीवन में ये बना नुमाइश के जैसा, हर गली शहर चौराहे पर, कुश्ती आजमाइश के जैसा ।। सुमित उपाध्याय है धर्म नहीं अब जीवन में ये बना नुमाइश के जैसा, हर गली शहर चौराहे पर, कुश्ती आजमाइश के जैसा ।।