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माना बदकिस्मत, बेचारा हूँ कई बार किस्मत से हारा हू

माना बदकिस्मत, बेचारा हूँ
कई बार किस्मत से हारा हूँ।
हौसला फिर भी है इतना
कई दुःखियों का सहारा हूँ।

अनगिन बार टूटा हूँ
बाहरी खुशी से रूठा हूँ।
फिर भी मन काबू में है मेरे
बुलंद जज्बे का नारा हूँ।

कभी होता उदास हूँ
गर्मियों की सूखी घास हूँ
छोटी जड़ से पुनः पनप गईं 
ऐसी हरी दूब का चारा हूँ।

©Kamlesh Kandpal
  #Jjba