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मत छोड़ मुझे तुम जाओ प्रिये ! अंधकार है चारों तर

मत छोड़ मुझे तुम जाओ प्रिये !

 अंधकार है चारों तरफ
 ना तुम घबराओ प्रिये 
 छोड़ जाओगे तन्हा मुझे
 ऐसे मत डराओ प्रिये 
     मत छोड़ मुझे तुम जाओ प्रिये ..

 जीवन भर साथ निभाऊंगी
 तुम रूठे अगर मैं मनाऊंगी
 वो  शब्द  अपने  मुख से
 आज  फिर  दोहराओ प्रिये
     मत छोड़ मुझे तुम जाओ प्रिये..

 सुशोभित  तेरे   गांव में
 दोनों पीपल की छांव में
 प्यार  भरा  कोई  नग्मा
 आज फिर सुनाओ प्रिये
    मत छोड़ मुझे तुम जाओ प्रिये..

 दर्द नहीं बड़ा कोई आह से
 मैं गुजरा हूं प्रिये उस राह से
 मेरी बर्बादी का जश्न तुम
 मेरे सामने ना मनाओ प्रिये
     मत छोड़ मुझे तुम जाओ प्रिये..
 
कवि रोशनलाल "हंस"
हरदोई 8181052500 Akashi Parmar, Divya Joshi, Namita Writer ,Jagadish Kumawat
मत छोड़ मुझे तुम जाओ प्रिये !

 अंधकार है चारों तरफ
 ना तुम घबराओ प्रिये 
 छोड़ जाओगे तन्हा मुझे
 ऐसे मत डराओ प्रिये 
     मत छोड़ मुझे तुम जाओ प्रिये ..

 जीवन भर साथ निभाऊंगी
 तुम रूठे अगर मैं मनाऊंगी
 वो  शब्द  अपने  मुख से
 आज  फिर  दोहराओ प्रिये
     मत छोड़ मुझे तुम जाओ प्रिये..

 सुशोभित  तेरे   गांव में
 दोनों पीपल की छांव में
 प्यार  भरा  कोई  नग्मा
 आज फिर सुनाओ प्रिये
    मत छोड़ मुझे तुम जाओ प्रिये..

 दर्द नहीं बड़ा कोई आह से
 मैं गुजरा हूं प्रिये उस राह से
 मेरी बर्बादी का जश्न तुम
 मेरे सामने ना मनाओ प्रिये
     मत छोड़ मुझे तुम जाओ प्रिये..
 
कवि रोशनलाल "हंस"
हरदोई 8181052500 Akashi Parmar, Divya Joshi, Namita Writer ,Jagadish Kumawat