Nojoto: Largest Storytelling Platform

श्री मनोहर दास अग्रावत जो नदी मर्यादा छोड़ कर चलत

श्री मनोहर दास अग्रावत

जो नदी मर्यादा छोड़ कर चलती है यह अपना ही तट खिसका कर गंदली होती है और तट के वृक्षों को गिराकर अपनी ही शोभा बिगाड़ती है। शोभा
श्री मनोहर दास अग्रावत

जो नदी मर्यादा छोड़ कर चलती है यह अपना ही तट खिसका कर गंदली होती है और तट के वृक्षों को गिराकर अपनी ही शोभा बिगाड़ती है। शोभा
halendraprasad5961

HP

New Creator

शोभा #बात