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मेरी मंज़िल हैं बहुत दूर, घर से निकल जाउँ क्या...?

मेरी मंज़िल हैं बहुत दूर, घर से निकल जाउँ क्या...?? 
या फिर गलियारे तक ही जा के, टहल आऊँ क्या...?? 

हालात ये हर घड़ी बदले हैं, बदलती सी जिंदगी ने मेरे, 
तुम कहो तो हालातों की तरह, मैं भी बदल जाउँ क्या.?? 

सूकुन महंगे खिलौने सा हैं, शायद नसीब में नहीं हैं मेरे, 
उसे पाने की ख्वाहिश में, बच्चे सा मचल जाउँ क्या..?? 

 #अनकहेअल्फ़ाज़ #yqdidi #yqhindipoetry #yqhindisahitya #yqmidnighthoughts #yqquotes
मेरी मंज़िल हैं बहुत दूर, घर से निकल जाउँ क्या...?? 
या फिर गलियारे तक ही जा के, टहल आऊँ क्या...?? 

हालात ये हर घड़ी बदले हैं, बदलती सी जिंदगी ने मेरे, 
तुम कहो तो हालातों की तरह, मैं भी बदल जाउँ क्या.?? 

सूकुन महंगे खिलौने सा हैं, शायद नसीब में नहीं हैं मेरे, 
उसे पाने की ख्वाहिश में, बच्चे सा मचल जाउँ क्या..?? 

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