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रसना जपै न नाम तिल तिल कर कट्टीयै।। अर्थ:-गुरु सा

रसना जपै न नाम तिल तिल कर कट्टीयै।।

अर्थ:-गुरु साहिब जी फ़रमान कर रहे हैं कि जिस रसना से प्रभु जस यानी परमात्मा की कथा उतपन नहीं होती उसे गुरु जी कहते हैं कि वह उस रसना को काट देंगे यानी जो रसना हरि जस कथा नहीं करती यानी जो नाम ध्यान का व्यख्यान नहीं करती यानी उस मन जोत को गुरु जी मनुष्य योनी से पशु योनि में ट्रांसफर कर देंगे।।

©Biikrmjet Sing #रसना
रसना जपै न नाम तिल तिल कर कट्टीयै।।

अर्थ:-गुरु साहिब जी फ़रमान कर रहे हैं कि जिस रसना से प्रभु जस यानी परमात्मा की कथा उतपन नहीं होती उसे गुरु जी कहते हैं कि वह उस रसना को काट देंगे यानी जो रसना हरि जस कथा नहीं करती यानी जो नाम ध्यान का व्यख्यान नहीं करती यानी उस मन जोत को गुरु जी मनुष्य योनी से पशु योनि में ट्रांसफर कर देंगे।।

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