वट वृक्ष को थामे बैठी हूँ मैं इससे सुरक्षित जगह अब तक नहीं मिली मुझे। बहुत बचाती हूँ खुद को कहीं कोई तेज लहर बहा न ले जाए मुझे! मनुष्य हूँ आख़िर कब तक, बचूँगी इन मायावी लहरों से कोशिश तो जारी है बचने की बाढ़ में बहना मंजूर जो नहीं तो क्या अपना अस्तित्व बचाने मनु की शरण में ही जाना होगा... #बाढ़ #जीवन #बाढ़ #जीवन #साहित्य #nojoto #hindi