न दुनिया अपनी हम तुम्हें अपना समझते थे बे घर होकर तुम्हें बसर ठिकाना समझते थे हर सपना अधूरा अभी बाकी वो ख़्वाब जो जो मुझ में मैंने पाया उसे बेगाना समझते थे FULL READ IN CAPTION 👇👇 * तुम्हें अपना समझते थे * न दुनिया अपनी हम तुम्हें अपना समझते थे बे घर होकर तुम्हें बसर ठिकाना समझते थे हर सपना अधूरा अभी बाकी वो ख़्वाब जो जो मुझ में मैंने पाया उसे बेगाना समझते थे