.........अक्सर रूठ जाया करती थी तुम मुझसे माँ और में तुम्हे झट से मन लिया करता था रूठ जाओ भले ही आज भी तुम मुझसे, पर यूं छोड़कर न जाओ माँ एक बार फिर वापस आ जाओ माँ...... ..........जब जब रोया मैं छिपाया तुमने ही अपने आँचल में आज फिर रो रहा है माँ तुम्हारा लाडला दे दो वही दुपट्टा फिर अपने आंचल का यूं अकेला मुझे छोड़कर न जाओ माँ फिर एक बार तो वापस आ जाओ माँ....... ............अक्सर ही हो जाता हूं लेट, आफिस से आने में सब सो जाए भले ही, पर इंतज़ार तो तुम्ही करती हो मेरे आने का कहती थी तूही रखूंगी में तेरा ख्याल तोड़ वही वादा, फिर क्यों आज झूठी बन गयी माँ रोता छोड़ मुझे यूं ही न जाओ माँ हाँ एकबार फिर से वापस आ जाओ माँ.... ........यूं तो सभी चाहने वाले हैं मेरे पर अगर सच कहूं तो तेरे जैसा लाड़ प्यार करता ही नहीं कोई मुझे आखिर तू ही बता दे जियूँ कैसे तेरी यादों के सहारे, .........यूं तो सब ही ससाथ हैं मेरे पर तेरे बिना तो मैं भीड़ में भी महसूस करता हूं तन्हाई इसलिए हमेशा के लिये यूं छोड़कर न जाओ माँ हाँ एकबार तो वापस आ जाओ माँ....... माँ का लाडला....💕💕 sad j.k😥😥