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अँधेरे से उजाले की ओर, अकेले ही चलना है..! रौशन क

 अँधेरे से उजाले की ओर,
अकेले ही चलना है..!
रौशन करने के लिए,
ख़ुद को ही जलना है..!

वो चाहते नहीं तुम्हें,
आगे बढ़ते देखना..!
संघर्षों के दिनों में,
ख़ुद ही संभलना है..!

ठोकरें खा कर ही,
समझ आती है ज़िन्दगी..!
तक़्दीर के आगे न,
कभी भी हाथ मलना है..!

तस्वीर सजानी है,
भविष्य की ख़ूबसूरत..!
और सुन्दर पुष्प सा,
जीवन में सदा खिलना है..!

©SHIVA KANT(Shayar)
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