नींदों में जिनका आना जाना दिन रात होता था, आज वो कहीं गुम से हैं, सपने जो सोने नहीं देते थे, आज वो कहीं गुम से हैं, बुझ गया आँखों का दीपक भी, जो इन्हें जगाए रखता था, आँखों में बचे आँसुओं के वो नीर भी, अब कहीं गुम से हैं.. ©Deepak Chaurasia #नींदों में जिनका आना जाना दिन रात होता था, आज वो कहीं गुम से हैं, सपने जो सोने नहीं देते थे, आज वो कहीं गुम से हैं, बुझ गया आँखों का दीपक भी, जो इन्हें जगाए रखता था, आँखों में बचे आँसुओं के वो नीर भी, अब कहीं गुम से हैं..