वो मकाँ की ऊँचाई से हैसियत पता करते हैं, मेरे शहर के लोग कुछ इस तरह आगे बढ़ते हैं, अपनी मिट्टी पानी छोड़ वो अब शहर आ गए, वीराने गांव में तो बस अब जंगल बसते हैं , मुझे इल्म नहीं किसी के शहर जाने से, वो काफ़ी कुछ छोड़ आए हैं बस कुछ पाने के लिए, मुमकिन हो तो मुड़कर देखना इक बार ख़ुदा के लिए, उम्र निकल जाती है शहर में आशियां बनाने में || ©'PAरिज़ाT' #kuch#shbd #SunSet