पतझड़ सी हैं जिंदगी मेरी तुम आओ कभी बारिश बनकर फिर शायद महके सावन जैसी नहीं हैं कोई ख्वाहिश कोई आरजू तुम आओ चाहत बनकर फिर शायद मिल जाए जिंदगी को सूंकू ना कोई रंग हैं न कोई रूप हैं तुम आओ आइना बनकर फिर शायद सँवरने लगू मैं वीरान हैं गलिया सूने हैं आँगन तुम आओ कभी हवा बनकर फिर शायद चहकने लगू मैं #patjhad #bhar #zindgi #suku #galiya #sawan #nojotohindi