इक दौर तक रहें बस ख़्यालातों की उड़ानों में, बड़ा वक़्त गुज़ारा है हमनें किराए के मकानों में, ज़िंदगी से ज़िंदगी मिली तो लौट आए घर को, जलनें लगा जब आज़ बीतें कल के बहानों में। #लौट_आये_घर_को_team_alfaz #new_challenge There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio) Today's Topic is *लौट आये घर को*