गुलाब जीत ली थी दुनियां मैंने...सबकुछ था अब कदमो में... साथ में लिखा नाम देख ऐसे ही इतराई थी.... दिन बीते.. महीने बीते...बीत गए अब बरसों... लौट कर ना आया वो लम्हा...किताब भी गभराई थी... इन्तज़ार ही करते रहे हम...पैग़ाम भी ना आया उसका... दूर हो कर हमसे, शायद किस्मत उसकी निखर गई... हमने तो वफ़ा निभाई उस तन्हा हमसफ़र से...Nidhi अनपढ़ ग़ुलाब सी हो कर, उसी किताब में बिखर गई !!! #ग़ुलाब