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बढ़ता चल, बढ़ता चल, प्रेम भरे गीत को, यूँ ही गुनगुन

बढ़ता चल, बढ़ता चल,
प्रेम भरे गीत को,
 यूँ ही गुनगुनाता चल।
राह के साथी बहुत है, 
तू मंज़िल के लिए तो घर से निकल।
कभी कहीं सुबह होगी ,
तो कहीं शाम मिलेगी,
उजाले और रोशनी से,
 मुलाकात के लिए निकल
चलता चल, चलता चल, 
तू मंज़िल की ओर बढ़ता चल। प्रेम भरे गीत को गुनगुनाता चल
बढ़ता चल, बढ़ता चल,
प्रेम भरे गीत को,
 यूँ ही गुनगुनाता चल।
राह के साथी बहुत है, 
तू मंज़िल के लिए तो घर से निकल।
कभी कहीं सुबह होगी ,
तो कहीं शाम मिलेगी,
उजाले और रोशनी से,
 मुलाकात के लिए निकल
चलता चल, चलता चल, 
तू मंज़िल की ओर बढ़ता चल। प्रेम भरे गीत को गुनगुनाता चल
drnehagoswamisha4463

नेहा

New Creator

प्रेम भरे गीत को गुनगुनाता चल