बढ़ता चल, बढ़ता चल, प्रेम भरे गीत को, यूँ ही गुनगुनाता चल। राह के साथी बहुत है, तू मंज़िल के लिए तो घर से निकल। कभी कहीं सुबह होगी , तो कहीं शाम मिलेगी, उजाले और रोशनी से, मुलाकात के लिए निकल चलता चल, चलता चल, तू मंज़िल की ओर बढ़ता चल। प्रेम भरे गीत को गुनगुनाता चल