यहा कोई दोस्त, शुभचिंतक, मार्गदर्शक ये अपने अपने नकाब की बात हम कहते है एकता, समानता, आपसी प्रेम रखो वो कहते है ये है चुनाव की बात हम सोचते है इन्सानियत जिंदा है पर इन्सान समझते है इसे किताबी बात किताब की बात