“मन पंछी का पिंजड़ा” अनुशीर्षक में मन की पंछी को आज़ाद कर कभी भी पिजड़े का पंछी बन अपना जीवन बर्बाद ना कर जीवन मिला है बस एक बार दिया यह इसे ईश्वर ने तुझे खुश हो कर आशीर्वाद क्यों बैठा है तू उदास होकर क्यों घुट घुट कर जी रहा है तू