साहित्य पल्लव की डायरी समाज और देश का चरित्र बनकर दर्पण में उभरता है हल चलो का चलन कवि रचनाओं में उकेरता है जब जब पथ भृष्ट समाज होता है कबीर निराला का दिल कविताओं में रोता है सत्ताओ का चरित्र शोषण करता है तब तब कलमो का लेखन चुनोती पूर्ण होता है तलवारों की ताकत कलमे रखती है कितने औहदे ऊँचे हो नेस्तनाबूद करती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" तलवारों की ताकत कलमे रखती है #WForWriters #पल्लव_की_डायरी