हवाओं का रुख़ बदलते देखा है वक्त पर अपनों को बदलते देखा है चन्द रोज की फानी दुनिया है एक दूसरे को हमने रोते देखा है कितने अजीब लोग है यहां पर अपने ही लोगों को सजा देते देखा है मजबूर कर देती है अपनों की जुदाई गैरों को साथ मिलते-जुलते देखा है सवाली दर पर खड़ा है बच्चों की तरह दूसरों को अपनों से माफ़ी मांगते देखा है रास्ते बहुत है मंजिल का पता नहीं आरिफ बच्चों को यहां बिगड़ते देखा है हवाओं का रुख़ बदलते देखा है वक्त पर अपनों को बदलते देखा है चन्द रोज की फानी दुनिया है एक दूसरे को हमने रोते देखा है कितने अजीब लोग है यहां पर अपने ही लोगों को सजा देते देखा है