उड़ती पतंगॆं, लहलहाती फसलें.. करें प्रकृति का श्रंगार.. हो पुण्य स्नान-दान, हो जन जन का कल्याण.. करें हम सूर्य नमन बारंबार... तिल-गुड़ से घर आंगन गमके, नव उमंगों से जीवन चमके.. आया मकर संक्रान्ति का त्योहार... ©Chanchal's poetry #makarsankranti #makarsankranti2022