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कभी ऐसा हो कि मेरे लिए तुम्हारे भीतर प्यार ना रहे,

कभी ऐसा हो कि मेरे लिए तुम्हारे भीतर प्यार ना रहे,
और खत्म हो जाए फ़िक्र मेरी।
तो सीधे सीधे ना बताना ,
कह देना जा रहे हो मज़बूरी में,
फिर चुम लेना माथा,
पोछ देना आंसू,
घेर लेना बाहों में जाते जाते,
क्योकि तुम्हारे ऐसा कर देने से ,
शायद मुझमें बचा रहेगा प्यार,
मेरे लिए, तुम्हारे लिए और शायद औरो के लिए भी।

©Deepanshi Garg
  अनकही बातें

अनकही बातें #Poetry

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