आज शाम "आज शाम" तेरी याद फ़िर सज-धजकर दबे पाँव चली आई... पा मुझे निरा अकेला,, झट से लिपट गई मुझसे,,... तेरे इत्र की महक से सुगंधित हो गई ये पूरी धरती... दबी ख़्वाहिशें जो कब से दिल के किसी कोने में क़ैद थी... नई उम्मीद की रौशनी पाकर,, फ़िर से जगमगा उठी.. आँखें जुगनुओं की रौशनी देख चौंधिया गई... उदासी चेहरे से मानो कुछ समय के लिए गायब ही हो गया... कब से जो बेरंग थी ज़िन्दगी,, उनमें तुम्हारी यादों ने रंग भर दिया.. ओ प्यारी शाम तेरा बहुत-बहुत शुक्रिया..... ©rishika khushi #PoetInYou #PoetInYou #आजशाम