गुरु हम खिलते गुल बाग के , वो बगिया के माली , हम ज्यों कोई बंजर ज़मी , वे मेहनती हाली । उनके ज्ञान से रोशन जीवन का कोना कोना, वे तिमीर में जलते दीप , हम अमावस काली । चरणों में ही उनके मिटी हर ज्ञानपिपासा, वे है अक्षय ज्ञानकूप और हम है लोटे खाली । हर उलझन की सुलझन का द्वार गुरुवर, वे सारे प्रश्नों के हल , हम है फ़क़त सवाली । #गुरु हम खिलते गुल #बाग के , वो बगिया के #माली , हम ज्यों कोई #बंजर ज़मी , वे मेहनती #हाली । उनके #ज्ञान से रोशन #जीवन का कोना कोना, वे तिमीर में जलते #दीप , हम #अमावस काली ।