कम दिलकश नहीं थी ख़ामोशी तुम्हारी जो ये क़ातिल मुस्कुराहट आज़माने लगे हो बिस्मिल हो गया है ये शायर तुम्हारा क्यों मजनूं इसे बनाने लगे हो तेरी सूरत ही काफ़ी है दीवाने की जान लेने को काहे को ये खुली जुल्फें लहराने लगे हो सावले,गोरे जैसे भी हो इश्क़ हो तुम मेरा फिर क्यूं ये ज़माने भर के फिल्टर लगाने लगे हो ©Shaane shayari #shaan #shaan_e_shayari #shaan_e_azam #shayari #Love #womensday2021