किसी के आँसुओं की नींव पर ख़ुशियों का घरौंदा बनाना चालाकी से इस्तेमाल कर, उसकी मासूमियत से खेलना गीदड़ की चाल चल, नादाँ से बने रहना सच्चाई का मुखौटा पहन, दरिंदगी से नाता रखना इतने नीच होकर भी, सुकूँ की उम्मीद करना रोकर अपने हालातों पर, फिर भी ना महसूस होना वक़्त करता है इंसाफ़, क्या मुश्किल है इतना समझना ? बचपन से.. कर्म का ज्ञान यूँ ही.. बेमतलब नहीं समझाया जाता.. #कर्म #वक़्त #इंसाफ़ #yqdidi #yqbaba #drgpoems #drgwaqt