पत्तों से पूछा है,टूटने का दर्द ये जो तुम टूटे हो,कुछ भी नहीं है । शिकायत है जिन्हें जमीन पर सोने से, नसीब किसी को रोटी,किसी को घर नहीं है। टूटने का दर्द....