कल रात ओड़ी थी एक चादर,खुले आसमान ने, कुछ ख्वाहिशे दबी सी थी,उस सॉतवे जहॉ में, के अकसर झॉकता होगा आसमॉ भी ज़मी की और कि क्या कुछ अलग होता होगा इस जहॉ में, तारों की चमकदार चादर को,अकसर इंतजा़र चॉद का रहता होगा,छुप कर हर नज़ारा,ये इशारा कहता होगा,हर गम फिसल जाते होंगे उस जहॉ में उस चादर से,जब बारिश बन अश्क ज़मी पर बहता होगा, कल रात ओड़ी थी एक चादर,खुले आसमान ने, कुछ ख्वाहिशे दबी सी थी,उस सॉतवे जहॉ में, #chadarasmaanme #nojoto#nojotoofficial #quotes #poetry