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बेरंग जिन्दगी में फ़िर कभी वो शाम आयेगा क्या? गुजर

बेरंग जिन्दगी में फ़िर कभी वो शाम आयेगा क्या?
गुजर चुकी होठों की वो मुस्कान आयेगा क्या ?

निकल गया जो अकेले अनजान सफ़र में,
हक़ में उसके अब अंजाम आयेगा क्या ?

चुन लिया सफ़र ईश्क का गर जिसने,
हिस्से में उसके कभी आराम आयेगा क्या ?

पड़ गया शख़्स कोई जो किसी के ईश्क में,
अपनों के भी वो कोई काम आयेगा क्या ?

और तौहमतें लगीं हैं मुझपर यूं तो कई,
तेरी ओर से भी कोई इल्ज़ाम आयेगा क्या ?

गुज़रे हैं ईश्क के जिन राहों से तेरे दोस्त 'लुकेश',
उस कतार में तेरा भी अब नाम आयेगा क्या ?

©Lukesh Sahu #NojotoWriter #nojotoshayari 
#nojotoshayar #NojotoGajal 
#Lukeshsahu
triying to write a shayari
बेरंग जिन्दगी में फ़िर कभी वो शाम आयेगा क्या?
गुजर चुकी होठों की वो मुस्कान आयेगा क्या ?

निकल गया जो अकेले अनजान सफ़र में,
हक़ में उसके अब अंजाम आयेगा क्या ?

चुन लिया सफ़र ईश्क का गर जिसने,
हिस्से में उसके कभी आराम आयेगा क्या ?

पड़ गया शख़्स कोई जो किसी के ईश्क में,
अपनों के भी वो कोई काम आयेगा क्या ?

और तौहमतें लगीं हैं मुझपर यूं तो कई,
तेरी ओर से भी कोई इल्ज़ाम आयेगा क्या ?

गुज़रे हैं ईश्क के जिन राहों से तेरे दोस्त 'लुकेश',
उस कतार में तेरा भी अब नाम आयेगा क्या ?

©Lukesh Sahu #NojotoWriter #nojotoshayari 
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Lukesh Sahu

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