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बहारों के सपने। (पार्ट 1) में टीना और यह है मेरी

बहारों के सपने।
(पार्ट 1) में टीना और यह है मेरी  छोटी सी कहानी। चलो, शुरू से शुरू करती हूँ।

में अपने पेरेंट्स की एकलौती बेटी हूँ। इसलिये बचपन से बड़े लाड-प्यार से मुझे पाला गया था। मुझे कभी किसी चीज़ की कमी नहीं हुयी। मोम और डैड काफी प्रोटेक्टिव थे और है मुझे लेकर, पर इसीलिये मुझे दुनियादारी की समझ थोड़ी कम है शायद। हर पेरेंट्स की तरह मेरे पेरेंट्स भी चाहते थे की में डॉक्टर या इंजीनियर बनू पर साइन्स मेरे कभी पल्ले नहीं पड़ता था। में तो सपनो की दुनिया में जीने वाली लड़की थी। और इसीलिए मैंने लिटरेचर की पढ़ाई करी। एम्.ए. करने के बाद मैंने जॉब ले लिया और बच्चों को पढ़ाने लगी। मेरे सर कहते थे की में एक अच्छी टीचर हूँ। और मुझे भी पढ़ाना अच्छा लगता था। मेरे क्लास की टाइमिंग थी सुबह 7 से 12 और शाम को 4 से 9। कभी कभी यह ज़्यादा ही हैक्टिक लगता था पर क्योंकि मुझे पढ़ाने ने में रूचि थी तो में सन्तुष्ट थी। सिर्फ़ एक प्रॉब्लम थी मुझसे सुबह जल्दी जागा नहीं जाता था, इसलिए मुझे नास्ता किये बगैर ही भागना पड़ता था। जो की मेरे क्लासेज के नीचे ही एक उडीपी रेस्टोरेंट था, कभी कभी में ब्रेक के दरम्यान वहीँ नास्ता कर लेती थी। सब कुछ सही चल रहा था। बच्चों को पढ़ाते हर रोज़ में भी कुछ नया सिख रही थी। में अपनी ज़िन्दगी में खूश थी।

***

"टीना!! कितना पढ़ोगी? कल जल्दी उठ कर क्लासेज में भी तो जाना है।"मॉम ने मुझसे कहा।
बहारों के सपने।
(पार्ट 1) में टीना और यह है मेरी  छोटी सी कहानी। चलो, शुरू से शुरू करती हूँ।

में अपने पेरेंट्स की एकलौती बेटी हूँ। इसलिये बचपन से बड़े लाड-प्यार से मुझे पाला गया था। मुझे कभी किसी चीज़ की कमी नहीं हुयी। मोम और डैड काफी प्रोटेक्टिव थे और है मुझे लेकर, पर इसीलिये मुझे दुनियादारी की समझ थोड़ी कम है शायद। हर पेरेंट्स की तरह मेरे पेरेंट्स भी चाहते थे की में डॉक्टर या इंजीनियर बनू पर साइन्स मेरे कभी पल्ले नहीं पड़ता था। में तो सपनो की दुनिया में जीने वाली लड़की थी। और इसीलिए मैंने लिटरेचर की पढ़ाई करी। एम्.ए. करने के बाद मैंने जॉब ले लिया और बच्चों को पढ़ाने लगी। मेरे सर कहते थे की में एक अच्छी टीचर हूँ। और मुझे भी पढ़ाना अच्छा लगता था। मेरे क्लास की टाइमिंग थी सुबह 7 से 12 और शाम को 4 से 9। कभी कभी यह ज़्यादा ही हैक्टिक लगता था पर क्योंकि मुझे पढ़ाने ने में रूचि थी तो में सन्तुष्ट थी। सिर्फ़ एक प्रॉब्लम थी मुझसे सुबह जल्दी जागा नहीं जाता था, इसलिए मुझे नास्ता किये बगैर ही भागना पड़ता था। जो की मेरे क्लासेज के नीचे ही एक उडीपी रेस्टोरेंट था, कभी कभी में ब्रेक के दरम्यान वहीँ नास्ता कर लेती थी। सब कुछ सही चल रहा था। बच्चों को पढ़ाते हर रोज़ में भी कुछ नया सिख रही थी। में अपनी ज़िन्दगी में खूश थी।

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"टीना!! कितना पढ़ोगी? कल जल्दी उठ कर क्लासेज में भी तो जाना है।"मॉम ने मुझसे कहा।

में टीना और यह है मेरी छोटी सी कहानी। चलो, शुरू से शुरू करती हूँ। में अपने पेरेंट्स की एकलौती बेटी हूँ। इसलिये बचपन से बड़े लाड-प्यार से मुझे पाला गया था। मुझे कभी किसी चीज़ की कमी नहीं हुयी। मोम और डैड काफी प्रोटेक्टिव थे और है मुझे लेकर, पर इसीलिये मुझे दुनियादारी की समझ थोड़ी कम है शायद। हर पेरेंट्स की तरह मेरे पेरेंट्स भी चाहते थे की में डॉक्टर या इंजीनियर बनू पर साइन्स मेरे कभी पल्ले नहीं पड़ता था। में तो सपनो की दुनिया में जीने वाली लड़की थी। और इसीलिए मैंने लिटरेचर की पढ़ाई करी। एम्.ए. करने के बाद मैंने जॉब ले लिया और बच्चों को पढ़ाने लगी। मेरे सर कहते थे की में एक अच्छी टीचर हूँ। और मुझे भी पढ़ाना अच्छा लगता था। मेरे क्लास की टाइमिंग थी सुबह 7 से 12 और शाम को 4 से 9। कभी कभी यह ज़्यादा ही हैक्टिक लगता था पर क्योंकि मुझे पढ़ाने ने में रूचि थी तो में सन्तुष्ट थी। सिर्फ़ एक प्रॉब्लम थी मुझसे सुबह जल्दी जागा नहीं जाता था, इसलिए मुझे नास्ता किये बगैर ही भागना पड़ता था। जो की मेरे क्लासेज के नीचे ही एक उडीपी रेस्टोरेंट था, कभी कभी में ब्रेक के दरम्यान वहीँ नास्ता कर लेती थी। सब कुछ सही चल रहा था। बच्चों को पढ़ाते हर रोज़ में भी कुछ नया सिख रही थी। में अपनी ज़िन्दगी में खूश थी। *** "टीना!! कितना पढ़ोगी? कल जल्दी उठ कर क्लासेज में भी तो जाना है।"मॉम ने मुझसे कहा।