जैसे कि.... *ज़िन्दगी के सफ़र में गुज़र जाते हैं जो मक़ाम...... वो फिर नहीं आते.... वो फिर नहीं आते.... (इसमें बात कही गयी जो सीधी भी और छुपी हुई भी, कहा गया की जो ज़िन्दगी में बीत गया वो दुबारा हमें हमारी ज़िंदगी में नहीं मिलता और न आगे की ज़िंदगी में मिलेगा वो सारे एहसास, लम्हें, और वक़्त...), (अब इसका सीधा मतलब ये है कि अगर मैंने लिखा है ये या फिर कोई और लिखता है तब जिसने लिखा वो उपरोक्त गाने के ज़रिए अपने भाव को लिख रहा है अथवा अपने भाव व्यक्त कर रहा होता है...)— % & गाने #dhruv1602 #YourQuoteAndMine Collaborating with Dhruv Sehra #poetrybaaz Collaborating with Pushp Lata