पश्चिम शासन के बोझ तले जब धरती माँ अकुलाई थी। तब ज्वार स्वरूप समर में एक मामूली स्त्री आयी थी। तन पे लिबाज आंखों में हया उस रानी के दो गहने थे। था क्रोध पति के मृत शव पर,और कोख से जनमी ममता थी। गोरों के शासन के आगे जब सब शासक घबराए थे। झाँसी की पुण्य धरा पे तब स्त्री में भगवन आये थे। रण में भी लड़ना था उसको,खुदका बचाव भी करना था। है धन्य धरा उस झाँसी की जिस पे वो शौर्य पसरना था। जब तक थी सांसो में शक्ति,उसने तब तक बलिदान दिया। आजाद कराने के खातिर कतरा-कतरा कुर्बान किया। #झाँसी_वाली_रानी #Jhansi #rani #laxmibai #deathanniversary