परिपक्वता मौन के दासत्व से मुक्त हैं मौन होना और शांत होना आधारभूत रूप से एक जैसे प्रतीत होने पर भी, भिन्न हैं मौन एक अवस्था मात्र हैं,शारीरिक स्थिति है अपितु शांति अंतःकरण में उत्पन्न होती हैं आत्मा को सुशोभित करती हैं मौन क्षणभंगुर है,शांति अनंत हैं परिपक्वता का स्तर हर व्यक्ति में भिन्न है सभी के जीवन के सिद्धांत,नैतिक मूल्य और कसौटियां विरक्त हैं इसी प्रकार विरक्त हैं अभिव्यक्ति और समझ का स्तर मैने पाया हैं,स्वयं को अत्यंत चतुर मान ने वाले मनुष्य मूर्ख हैं उन्हें समझ नहीं संवेदना की वे अंधे हैं अपनी धूर्त चेष्टाएं लिए सुख उन के हिस्से में आ भी जाए शांति का आ पाना असंभव है ईश्वरीय संवाद के लिए उन्हें कई कल्पों तपस्या करनी होगी क्योंकि निर्मल अंतःकरण का तेज उन के भाग्य में नहीं सरल हृदय के सहृदयी मनुष्य को शांति ढूंढने की आवश्यकता नहीं पड़ती, शांति उत्पन्न होती हैं भीतर से संवेदनाओं का आदर करिए, वे ऊर्जाएं जो बिना किसी धूर्तता के स्पष्ट रूप से अनुभव होती है,दैवीय हैं व्यर्थ के मापकों में बंध कर इन का सौंदर्य नष्ट हो जाता है एक कोमल हृदय ईश्वर के निवास हेतु सर्वोत्तम स्थान हैं बस इतना पर्याप्त है मैं,प्रसन्न हु,मै धूर्त नहीं मैने अपने हित हेतु किसी को व्यर्थ ठेस नहीं पहुंचाई, अपना महत्व सिद्ध कर ने के लिए मुझे किसी को निम्न नहीं करना पड़ा यही मेरी विजय है स्थिति अनुरूप परिवर्तन श्रेष्ठ है यद्यपि कैसी भी स्थिति में अपनी मूलप्रकृति को बचा पाना कही श्रेष्ठकर है यदि अपनी दृष्टि से मूल्य का प्रतिष्ठा का दंभ का और रोष का आवरण हटा सके तो हम देख सकेंगे सौंदर्य अपने चारों ओर हम अनुभव कर सकेंगे शांति जो भीतर उत्पन्न होगी हम सभी जुड़ सकेंगे अपनी वास्तविक ऊर्जा से,जो हमें ईश्वर से जोड़ती हैं ऐसा करने के लिए सर्वप्रथम हम का त्याग करना होगा,अथवा वंचित रह जाएंगे उस विस्मित कर देने वाले साक्षात्कार से जिस के लिए हर जीव को कल्पों कल्पों तक जन्म लेने होते हैं, शून्य में समाहित हो पाना सर्वश्रेष्ठ कला हैं, इसे समझना दायित्व भी है और जीवित होने का एकमात्र प्रमाण भी... ©ashita pandey बेबाक़ #good_night Extraterrestrial life Kalki Entrance examination Sushant Singh Rajput Extraterrestrial life Hinduism Sushant Singh Rajput