दिल-ए-नज़र को रूला-रूला कर देखा है कुछ पल तुझे भुलाकर देखा है, दिल की डोर को इस भागती दौड़ती ज़िंदगी में तेरी यादों को सम्हाल कर रखा है, जाने अंजाने में मोहब्बत के नकाब को चेहरे के हिसाब से जाना है, दिलकश इरादों को पढ़ने वाली नज़रे अक्सर धोखा खा जाती हैं मगर हमने भी टूटकर मोहब्बत को तेरे नाम किया है।। ©Akanksha Dixit #Newwriting #Love #Women