रिश्ते झूठ सच शांत पानी और कंकर का शोर, प्रभात का चांद और रात का भोर, जंगली संत और स्वामी आदमखोर, धधकता चांद लपटों में नाचे मोर, दोमुहा सर्प काटे चादर का कोर, कच्चे रिश्ते और गाठों में डोर, ये सच है लोगों का जो सामाजिक है, बाहर संत हित मांगे अंदर है चोर। पत्थर का मूरत करे दरबारी इबादत, झूठा मोह करना है बस आदत, प्रेम मिलाप का ढोंग यही है शराफत, मैं भी तुमसे थोड़ा खेल लूं गर है इजाजत, मोल मैं भी लगा लूंगा जो बची है इजारत, घात मैं भी करूंगा गर मानो हिफाजत, बिक मैं भी जाऊंगा ईमान खरीद सको तो, या गिरवी रख लो मुझे समझ के अपनी अमानत। रिश्ते झूठ सच #yqbaba #yqdidi #yqaestheticthoughts #yqrestzone #yqhindi #yqrishte #yqwafa #yqbhaskar