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रिश्तों का बाजार सजा है, क्या खरीदने निकले हो, खुद

रिश्तों का बाजार सजा है,
क्या खरीदने निकले हो,
खुद की खुशियां सहेजने,
या ख़ुद बिकने निकले हो।
-रुपेश शर्मा रिश्तों का बाजार सजा है,
क्या खरीदने......
रिश्तों का बाजार सजा है,
क्या खरीदने निकले हो,
खुद की खुशियां सहेजने,
या ख़ुद बिकने निकले हो।
-रुपेश शर्मा रिश्तों का बाजार सजा है,
क्या खरीदने......