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कौन है अपना और कौन है पराया दुनिया ने सब को भरमा



कौन है अपना और कौन है पराया दुनिया ने सब को भरमाया है,
कहीं धूप और कहीं छाया यह सब तो बस होती प्रभु की माया है।

मतलब के हैं लोग यहांँ पर और मतलब की ही यह सारी दुनिया है,
अपने मतलब के लिए ही लोग यहांँ पर रिश्तों को बनाकर रखते हैं।

दिल होता है भोला और नादान बहुत अपनों को पहचाने भी तो कैसे,
लोग अपने चेहरे पर चेहरा लगा अपने बन जाते हैं कोई जाने तो कैसे।

दिखावा करते हैं बस साथ होने का जरूरत पर कभी काम नहीं आते हैं,
अपना कह कर भेद जानते सदा पीठ में छुरा भोंकने को तैयार रहते हैं।

चाहते हैं खुद की तरक्की और दूसरों को नीचा दिखाने में लगे रहते हैं,
मौका मिल जाए तो दूसरों को पायदान बनाकर ऊंँचाई पर पहुंँच जाते हैं। *🌸Any writer can write anything about "चित्र देखो, कुछ सोचो" but remember the rule🌸*

👇RULES📜👇

*👉 The word given above must come atleast once in your write-up.*

*👉Poem should be in maximum 20lines/200 words,*


कौन है अपना और कौन है पराया दुनिया ने सब को भरमाया है,
कहीं धूप और कहीं छाया यह सब तो बस होती प्रभु की माया है।

मतलब के हैं लोग यहांँ पर और मतलब की ही यह सारी दुनिया है,
अपने मतलब के लिए ही लोग यहांँ पर रिश्तों को बनाकर रखते हैं।

दिल होता है भोला और नादान बहुत अपनों को पहचाने भी तो कैसे,
लोग अपने चेहरे पर चेहरा लगा अपने बन जाते हैं कोई जाने तो कैसे।

दिखावा करते हैं बस साथ होने का जरूरत पर कभी काम नहीं आते हैं,
अपना कह कर भेद जानते सदा पीठ में छुरा भोंकने को तैयार रहते हैं।

चाहते हैं खुद की तरक्की और दूसरों को नीचा दिखाने में लगे रहते हैं,
मौका मिल जाए तो दूसरों को पायदान बनाकर ऊंँचाई पर पहुंँच जाते हैं। *🌸Any writer can write anything about "चित्र देखो, कुछ सोचो" but remember the rule🌸*

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