मैं तो तुझे याद करना भी न चाहूं पर तेरी याद अा गई हंसते हुए चेहरों को भी रुला गई जिंदा हूं मैं बस तेरे खातिर और तेरी यादें मुझसे दगा कर गई भूल जाऊं तुझे मैं ये रातें आखिरी बन न जाए मेरे जिंदगी के इससे पहले तुझे दर्द भरे ख़त लिखा जाऊं रोक लेती हूं मैं तेरे करीब जाकर अब इन आंसुओं को कैसे समझाऊं मिलते कहां हो मुझसे हकीक़त में की तेरे प्यार के नग्में पूरी दुनियां को सुनाऊं शमा हूं मैं तड़प रही हूं अभी अब बेवफ़ा परवाने की क़िस्सा किसे दिखाऊं तेरी तस्वीर को सीने से लगाकर कैसे भी रातें काट लेती हूं बस पता नहीं चलता सुबह कब हो गई आहिस्ता से तुझे आवाज़ लगा देती हूं अब किससे पूछूं तुम कहां गए अपने बिखरे जुल्फ़ों को भी सवार लेती हूं ,,,,,,,,,,,,, वो यादें भी ख़ास होती मेरे पास,,,,,, ,,,,,,, अगर जाने से पहले मुझे अपना कहा होता ,,,,,,,,,, _____________________________________________ ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️ जिंदगी मेरी यूंही बेरंग न होता,,,,,,,,,,,,,,