“इश्क़ का नाम बदनाम” अनुशीर्षक में सामने आया मेरे देखा भी बात भी की मुस्कुराए भी किसी पहचान की खातिर। कल का अख़बार था देख लिया रख भी दिया।। तेरे महफ़िल से निकले किसी को ख़बर तक नहीं हुई। पर तेरा मुड़ मुड़ कर देखना मुझे बदनाम कर गई।। रुक रुक के लोग देख रहे हैं मेरी तरफ़। तुमने जरा सी बात को अख़बार कर दिया।। उनसे हमने जरा सी अपने दिल का दर्द क्या बयांँ कर दिया। हमें वो मोहब्बत के नाम पर बदनाम करने लगे।।