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सफ़र सफर ना रुकता है ना टूटता है। अविरत अविराम बस च

सफ़र सफर ना रुकता है ना टूटता है।
अविरत अविराम बस चलता है
मोड़ सफर के बाशिंदो को 
कभी मिलता है कभी तकता है
अंतहीन सफर बस चलता है।।।।

रूह सुहानी भोली सी 
जा कलेजे टकराई।
थक कर आंसू टूट गए
आंख थकी ना कजराई।।
मोदक मिल गए बिन पानी के
राग रुकी ना बज पाई।
जान हथेली खिसक गई
अगन कभी ना बुझ पाई।।
कभी मिलता किसी मोड़ पर
तो रुक कर जरा पूछ पाता।
कभी दिखता कभी छुपता है 
सफर ना रुकता टूटता है ।
अविरत बस चलता है
मोड़ सफर के बाशिंदो को 
कभी मिलता है कभी तकता है
अंतहीन सफर बस चलता है।।।।

(यह कविता "एक अंतहीन सफर" निशान फुमतिया द्वारा एक रेल यात्रा के दौरान जिंदगी के मायने समझते हुए लिखी गई है
"आज फिर उदास पानी" किताब श्रृंखला की एक ओर यादगार कड़ी) एक अंतहीन सफर तन्हा ज़िन्दगी NAJIM Khan Chief of Staff  Sugandha Kumari Prabhakar Kumar
सफ़र सफर ना रुकता है ना टूटता है।
अविरत अविराम बस चलता है
मोड़ सफर के बाशिंदो को 
कभी मिलता है कभी तकता है
अंतहीन सफर बस चलता है।।।।

रूह सुहानी भोली सी 
जा कलेजे टकराई।
थक कर आंसू टूट गए
आंख थकी ना कजराई।।
मोदक मिल गए बिन पानी के
राग रुकी ना बज पाई।
जान हथेली खिसक गई
अगन कभी ना बुझ पाई।।
कभी मिलता किसी मोड़ पर
तो रुक कर जरा पूछ पाता।
कभी दिखता कभी छुपता है 
सफर ना रुकता टूटता है ।
अविरत बस चलता है
मोड़ सफर के बाशिंदो को 
कभी मिलता है कभी तकता है
अंतहीन सफर बस चलता है।।।।

(यह कविता "एक अंतहीन सफर" निशान फुमतिया द्वारा एक रेल यात्रा के दौरान जिंदगी के मायने समझते हुए लिखी गई है
"आज फिर उदास पानी" किताब श्रृंखला की एक ओर यादगार कड़ी) एक अंतहीन सफर तन्हा ज़िन्दगी NAJIM Khan Chief of Staff  Sugandha Kumari Prabhakar Kumar

एक अंतहीन सफर तन्हा ज़िन्दगी NAJIM Khan @Chief of Staff @Sugandha Kumari @Prabhakar Kumar #कविता