#talaash भारतीय पितृसत्तात्मक व्यवस्था में ‘नाम और मान’ का केंद्र पुरुषों को माना जाता है। परिवार को आगे नाम देने का काम पुरुष का होता है। ऐसे में बेटे को ही वारिस माना जाता है। बेटियां तो पराया धन होती हैं और उनका अपना घर ससुराल होता है। यदि परिवार और खानदान का नाम, वंश बढ़ाना है तो संतान के रूप में बेटा होना बहुत आवश्यक है। #समाज