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बेरहम पछुआ इस उमस भरी गर्मी में जब भी, खिड़की से

बेरहम पछुआ

इस उमस भरी गर्मी में जब भी,  खिड़की से पछुआ आती है।
फुस- फुसाकर  मेरे कानों  में,  गीत विरह  के  गुनगुनाती है।
फिर  मेरे  सीने से  लगकर,  सुना  करती है  मेरी  धड़कनें,
और आभास होते ही कि मैं जिंदा हूँ, पूरब को भाग जाती है। #sadquotes #extremepain #depressed
बेरहम पछुआ

इस उमस भरी गर्मी में जब भी,  खिड़की से पछुआ आती है।
फुस- फुसाकर  मेरे कानों  में,  गीत विरह  के  गुनगुनाती है।
फिर  मेरे  सीने से  लगकर,  सुना  करती है  मेरी  धड़कनें,
और आभास होते ही कि मैं जिंदा हूँ, पूरब को भाग जाती है। #sadquotes #extremepain #depressed