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मधवामृतम (कुंडलियाँ छंद) ---------------------- नी

मधवामृतम
(कुंडलियाँ छंद)
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नीलकमल सम श्याम तन, अरु कजरारे नैन।
जाकी बंसी मधुर स्वर, आनि चुरावै चैन।।
आनि चुरावै चैन, हृदय मनु परमानंदा।
शुभ्र तेजोमय जस, पूरनमासी सों चँदा।।
सुमिरि नाम गोपाल, रे मनु नसावहिं कलिमल।
चरण कमल चित लाय, भजत मन छवि नीलकमल।।

✍️अवधेश कनौजिया© #Krishna 
#कृष्ण 
#कविता #Poetry #छंद 
मधवामृतम
(कुंडलियाँ छंद)
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नीलकमल सम श्याम तन, अरु कजरारे नैन।
जाकी बंसी मधुर स्वर, आनि चुरावै चैन।।
मधवामृतम
(कुंडलियाँ छंद)
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नीलकमल सम श्याम तन, अरु कजरारे नैन।
जाकी बंसी मधुर स्वर, आनि चुरावै चैन।।
आनि चुरावै चैन, हृदय मनु परमानंदा।
शुभ्र तेजोमय जस, पूरनमासी सों चँदा।।
सुमिरि नाम गोपाल, रे मनु नसावहिं कलिमल।
चरण कमल चित लाय, भजत मन छवि नीलकमल।।

✍️अवधेश कनौजिया© #Krishna 
#कृष्ण 
#कविता #Poetry #छंद 
मधवामृतम
(कुंडलियाँ छंद)
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नीलकमल सम श्याम तन, अरु कजरारे नैन।
जाकी बंसी मधुर स्वर, आनि चुरावै चैन।।