हशर ए खाक गुलिस्तां मेरे बागो का तपिश रूह की लाजमी तो नहीं... गुरुर में मगरूरियत की शामिल फरेब मोहब्बत की निशानी तो नहीं... ये जो कयानत के ख्वाब पिरोये हकीकत से अनजान तो नहीं... अंजाम ए हर्फ़े सुकून का हैं तु... मोहब्बत के लायक तो नहीं... ©arunendra #moonbeauty#जूठा इश्क़#nojoto