एक आह सी उठती है सीने मे सुकून अब कहा है दरिया ये इश्क़ मे बह जाऊ डूब जाऊ बिच मझदार, राह ए मंजिल कहा है.. तुमने बे आबरू किया हमें स -शहर, दर्द था शायद महोब्बत ए बे वफाई का, अब वफ़ा ए इश्क़ की उम्मीद कहा है.. मेरी डायरी#दाधीच