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~ मनुष्य का जीवन केवल उसके कर्मों पर चलता है, जैसा

~ मनुष्य का जीवन केवल उसके कर्मों पर चलता है, जैसा कर्म होता है, वैसा उसका जीवन होता है।
~ मन अशांत हो तो उसे नियंत्रित करना कठिन है, लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है।
~ दिव्यता केवल शक्तिशाली होने में नहीं, बल्कि वास्तविक दिव्यता दूसरों में शक्ति जाग्रत करने में है।
~ मन की गतिविधियों, होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है।
~ जीवन में वाणी को संयम में रखना अनिवार्य है क्योंकि वाणी से दिए हुए घाव कभी भरे नहीं जा सकते।
~ जब हम स्वयं जीवन के शिल्पकार हैं, तो चलो हम अपनी मुश्किलों को हराते हैं, जीवन में मुस्कुराते हैं। (भगवान श्री कृष्ण के विचार)
~ एक बार माफ़ करके अच्छे बन जाओ, पर दुबारा उसी इन्सान पर भरोसा करके बेवकूफ कभी न बनो।
~ न हार चाहिए ना जीत चाहिए। जीवन में अच्छी सफलता के लिए परिवार और कुछ मित्र का साथ चाहिये।
~ रिश्तो को निभाने के लिए वक़्त निकालिये, कहीं ऐसा न हो जब आपके पास वक़्त हो तो रिश्ता ही न बचे।
~ वह जो इस ज्ञान में विश्वास नहीं रखते, मुझे प्राप्त किये बिना जन्म और मृत्यु के चक्र का अनुगमन करते हैं।
~ लोग आपके अपमान के बारे में हमेशा बात करेंगे। सम्मानित व्यक्ति के लिए, अपमान मृत्यु से भी बदतर है।
~ जो दूसरों की तकलीफों को समझते हैं, जिनमें दया है, दिल से अच्छे हैं। उन्हें दोबारा जन्म लेना नहीं पड़ता।

©Tillu Singh
  #श्रीकृष्ण कोट्स
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Tillu Singh

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#श्रीकृष्ण कोट्स

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