सारी उम्र गवाँ दी मैने ये सोचकर कि ऐसा हुआ तो क्या होगा, और ऐसा होगा तो मैं क्या करूँगा, लोग किस नजर से देखेंगे मुझे, क्या कहेंगे क्या हूँ मैं।। सारी उम्र गवां दी मैंने, यह सोचकर कि अभी तो बहुत समय है, आज नही कल कर लूंगा, उस वक्त भी पता था मुझे कल कभी नहीं आता, फिर भी आज नही कल कर लूंगा।। सारी उम्र गवां दी मैंने उन्हें मनाने में, जो अपने कभी थे ही नहीं, उन्हें हँसाने में, जिन्हें मेरी फिक्र भी ना थी, उन्हें सुलझाने में, जिन्हें उलझना ही पसन्द था उन्हें खुशियां देने में, जिन्हें खुशियों की कद्र भी ना थी।। सारी उम्र गवाँ दी मैने।।