घरों में छुप के न बैठो कि रुत सुहानी है छतों पे आओ कि सावन का पहला पानी है वफ़ाएँ आज भी ख़ूँ माँगती हैं ख़्वाबों का सज़ा के ढंग नए हैं सज़ा पुरानी है #saja शुभम सिंह Gumnam