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नेह नीर रक्त बहे, क्षित विक्षत हे कंचन देह। कुद

नेह नीर रक्त बहे,
 क्षित विक्षत हे कंचन देह। 
 कुदृष्टि नोच खाए,
वसुंधरा के झड़ गए मेह।।

©Manisha Maru
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