उनसे ब्याह क्या हुआ,मेरे जीवन का वजूद खत्म हो गया। हँसती,इठलाती जो घूमती थी,अब कैद जीवन हो गया। खुद के जीवन का भी निर्णय न ले सकू,कुछ हाल ऐसा हो गया, स्वावलंबन के जो देखती थी सपने,परावलंबन में सब बदल गया। अब तो आशा ही नही रही,कुछ अच्छा होने की जीवन में, लग रहा है सब कुछ तहस-नहस सा हो गया।। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 के प्रतियोगिता:-125 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।